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पल्लव के प्रति मुनिशा का लगाव

हमने पिछले भाग मे देखा कि, पल्लव को मुनिशा के माता-पिता पसंद करते थे ये बात पल्लव को पता नही थी। इसलिये पल्लव को मुनिशा नही भाती थी ।

पल्लव मुनिशा को देखकर चिड जाता था। मुनिशा भी धीरे -धीरे उससे दूर जाने लगी थी। पल्लव का जो स्वभाव था उसमे मुनिशा जैसी लडकी का कोई पात्र अवतरित होना किसी चमत्कार से कम नही था।

मुनिशा के लिये पल्लव क्यो गुस्सा करता था ये बात मुनिशा को समझ नही आती थी। मुनिशा को देख वो आगबबोला हो जाता था।

मुनिशा के माता -पिता उसे काफी पसंद करते थे। ये बात पल्लव को पता नही थी। इसलिये पल्लव ज्यादा खुलकर नही बात कर पाता था।

वो अपने दिल की बात लिखकर डायरी कबर्ड मे छुपा देता था। उसने भैरवी कि याद मे बहुत शायरिया लिखी और उसकी किताब उसके दोस्त ऩिरव ने छपवायी।

ये किताब जब भैरवी ने खरीदकर पढी तो उसकी आँखेभर आई, लेकिन अब वो कुछ नही कर पा रही थी। क्योकि अब रास्ते अलग हो गये थे।

जिंदगी आगे बढ गई थी । अब उसके जिंदगी मे भी एक प्यार देनेवाला शख्स आ गया था। जो उसके लिये अपनी जान भी दे सकता था। ।

ये जानकारी पल्लव को नही थी। वो आज भी भैरवीके याद मे जीता था। उसके लिये लिखता था। उसके विचारों मे रहता था।

डॉक्टर होनेके बावजूद वो एक अच्छा कवि भी बन गया था। मुनिशा पल्लव कि मौजूदगी से सुरक्षित तथा अच्छा महसूस करती थी।

पल्लव भी एक सह -कर्मचारी के हैसियत से उसे मदद करने लगा था। एक दिन हॉस्पिटलमे दोनो कि night shift थी। उस रात मुनिशा को पल्लव का असली चेहरा पता चला कि वो कितना अच्छा और सच्चा है।

दुसरे दिन वो मुनिशाको घर तक छोडने भी गया था। मुनिशा की नजर पल्लव से हटने को तैयार ही नही थी। वो एकटक उसे देखे जा रही थी।

क्योकि एक डॉन हॉस्पिटल मे पुलिस से बचने के लिये घुस गया था और पल्लव ने मुनिशा की जान बचाई थी।

देखते है आगे जाकर ये दोनो एक दुसरे के जान बनते है या एक दुसरे के जान के दुश्मन बनते है। पढते रहिये ये मेरी कहानी किस मोड पर आगे जायेगी। आपके प्रतिक्रियाओ के इंतजार में।

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5 Comments

Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:55 PM

v nice

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Gunjan Kamal

19-Apr-2024 06:29 PM

👌🏻👏🏻

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Babita patel

16-Apr-2024 06:03 AM

V nice

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